मेरे हर छोटे सवाल पर, तुम क्यूँ मलाल करते हो ?

by Dev B
मेरे हर छोटे सवाल पर, तुम क्यूँ मलाल करते हो ?

जो मैं पूंछूं
“क्या है अब आज नैतिक”?
तुम बोले
“बची है बस वो मौखिक ”

जो मैं पूंछूं
“क्या है अब आज लौकिक”?
तुम बोले
“नहीं रही है बात ये मौलिक ”

मेरे हर छोटे सवाल पर, तुम क्यूँ मलाल करते हो ?

जो मैं पूंछूं
“क्या और कैसा है प्यार”?
तुम बोले
“बस है वो एक व्यपार”

जो मैं पूंछूं
“क्या है तुम्हारा रिश्ता”?
तुम बोले
“मंजिल का है ये राश्ता”

मेरे हर छोटे सवाल पर, तुम क्यूँ मलाल करते हो ?

जो मैं पूंछूं
“क्या यही है दुनिया की सची ताल “?
तुम बोले
“दुनिया की हर चाल है बेताल ”

जो मैं पूंछूं
“क्यूँ ऐसे है तुम्हारे जबाब”?
तुम बोले
“सिख लो दुनियादारी जनाब”

मेरे हर छोटे सवाल पर, तुम क्यूँ मलाल करते हो ?

– Dev B

Poetic version of a peppy talk between me and my friend.
My simple questions, His complex answers…huh..
As promised, One day, I will prove you wrong.
Anyways, Thanks for all GYAANs. 🙂
This is for you Dude.

3 Comments to “मेरे हर छोटे सवाल पर, तुम क्यूँ मलाल करते हो ?”

  1. Let me say Devesh, this is wonderful, really good.. after such a long time I looked at such original words although seems to be artificial current scenario..

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